भारतीय अरबपति गौतम अडानी (Gautam Adani) और अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg)…ये दोनों नाम इस समय देश-दुनिया में चर्चा का विषय हैं. इस शॉर्ट सेलर कंपनी की बीते 24 जनवरी 2023 को पब्लिश हुई रिपोर्ट ने अडानी साम्राज्य को ऐसा हिलाया कि ग्रुप का करीब आधा मार्केट कैप (Adani Group MCap) ही साफ हो गया.
अब तक सबसे बड़ा नुकसान झेल रहे गौतम अडानी ने अब हिंडनबर्ग से आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए अमेरिकी की महंगी और विवादित मामलों के केस लड़ने में माहिर अमेरिकी लॉ फर्म वॉचटेल (US Law Firm Wachtell) को हायर किया है. आइए जानते हैं अडानी की ओर से लीगल फाइट लड़ने वाली इस कंपनी के बारे में…
करण अडानी के ससुर ने किया था संपर्क
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Report) से अडानी ग्रुप में मची उथल-पुथल और शेयरों में आई सुनामी अब तक जारी है. निवेशकों को आश्वस्त करने और ग्रुप की रेपोटेशन को जो नुकसान हुआ, उसका बदला लेने के लिए गौतम अडानी ने अब बड़ी तैयारी की है. रिपोर्ट में मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भारत की सिरिल अमरचंद मंगलदास फर्म ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले के लिए अमेरिकी लॉ फर्म वाचटेल (Wachtell) से संपर्क किया था. बता दें कि इस भारतीय कंपनी को सिरिल श्रॉफ लीड करते हैं और वे गौतम अडानी के समधी हैं.
Twitter डील में वॉचटेल की भूमिका
अब बात करते हैं Wachtell लॉ फर्म की, तो बता दें कि इसका नाम विवादित मामलों में कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए दुनिया भर में मशहूर है. ये फर्म बीते साल 2022 में भी खूब चर्चा में रही थी. दरअसल, टेस्ला सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) ने जब 44 अरब डॉलर की ट्विटर डील तोड़ी थी, तो उन्हें कोर्ट में घसीटने के लिए माइक्रोब्लॉगिंग साइट Twitter ने इसी वॉचटेल को हायर किया था. डेलावेयर कोर्ट में वॉचटेल ने ही ट्विटर की ओर से पैरवी करते हुए इस डील को पूरा करने के लिए एलन मस्क को मजबूर कर दिया था. वॉचटेल लॉ फर्म न केवल अपने केस लड़ने के हुनर के लिए मशहूर है, वहीं ये सबसे महंगी लॉ फर्मों में से एक है.
1965 से सेवाएं दे रही है ये लॉ फर्म
Wachtell Lipton की स्थापना साल 1965 में वकीलों के एक छोटे से ग्रुप ने मिलकर की थी. शुरुआत में ये फर्म अपने ग्राहकों को कानूनी लड़ाई में सलाह देने का काम करती थी. लेकिन फिर धीरे-धीरे इस फर्म ने अपना विस्तार किया और वकीलों की संख्या भी बढ़ाई. एक बड़ी और विशेषज्ञ वकीलों की टीम के जरिए कंपनी मर्जर और अधिग्रहण, कॉर्पोरेट से जुड़े बड़े और विवादित मामलों को हाथ में लेकर उन्हें निपटाने का काम करने लगी.
अमेरिका समेत दुनियाभर में वॉचटेल सबसे बड़े लेन-देन, सबसे जटिल विवादों से संबंधित केसों को निपटाने के मामले में बड़ा नाम बन गई. आज इसकी पहचान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि Twitter-Elon Musk के बीच हुई टेक सेक्टर की तीसरी सबसे बड़ी डील के विवाद के बाद, फिलहाल दुनियाभर में सुर्खियां बने गौतम अडानी-हिंडनबर्ग मामला भी ये फर्म ही सुलझाएगी.
रिपोर्ट को अडानी ने बताया था निराधार
बता दें Hindenburg की रिपोर्ट पब्लिश होने के बाद अडानी ग्रुप ने अपना पक्ष रखते हुए इसे निराधार बताया था. अडानी की ओर से रिसर्च फर्म द्वारा उठाए गए 88 सवालों के जवाब में 413 पन्नों में उत्तर दिया गया था. अपने जवाब में ग्रुप की ओर से कहा गया था कि उसे बदनाम करने के लिए ये रिपोर्ट सामने लाई गई है. रिपोर्ट झूठी धारणा से प्रेरित है. हम सभी नियमों का पालन करते हैं और कानूनी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं.