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पुतिन के खिलाफ इन 123 देशों ने जारी किया अरेस्ट वारंट, जानें क्या है कारण!

by News Desk
March 18, 2023
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पुतिन के खिलाफ इन 123 देशों ने जारी किया अरेस्ट वारंट, जानें क्या है कारण!
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी हुआ है. ये वारंट इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) ने जारी किया है. आईसीसी ने पुतिन के अलावा रूस की चिल्ड्रन राइट्स कमिश्नर मारिया अलेक्सेयेवना लवोवा-बेलोवा के खिलाफ भी अरेस्ट वारंट जारी किया है.

आईसीसी ने बयान जारी कर बताया कि पुतिन और मारिया के खिलाफ ये अरेस्ट वारंट ‘वॉर क्राइम’ के जुर्म में जारी किया गया है. पुतिन पर यूक्रेनी बच्चों को अवैध तरीके से जबरन रूस ले जाने का आरोप है. आईसीसी ने पुतिन पर बच्चों के निर्वासन में शामिल होने का आरोप लगाया है.

राष्ट्रपति पुतिन ने पिछले साल 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान किया था. उन्होंने इसे ‘सैन्य अभियान’ बताया था. इस जंग को लगभग 13 महीने हो चुके हैं और अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की अक्सर पुतिन को ‘वॉर क्राइम’ के लिए जिम्मेदार ठहराते रहे हैं. जेलेंस्की ने इसकी शिकायत आईसीसी में की थी.

यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद ये पहली बार है जब आईसीसी ने पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया है. हालांकि, इस अरेस्ट वारंट को क्रेमलिन (रूस का राष्ट्रपति कार्यालय) ने ‘अपमानजनक’ और ‘अस्वीकार्य’ बताया है. रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने इस वारंट की तुलना ‘टॉयलेट पेपर’ से कर दी. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि बाकी देशों की तरह रूस आईसीसी के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है, इसलिए इसका कोई मतलब नहीं है.

वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अरेस्ट वारंट को ‘शुरुआती कदम’ बताया है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी कहा कि आईसीसी की ओर से पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी करने का फैसला उचित है.

पुतिन पर क्या-क्या हैं आरोप?
– आईसीसी की ओर से जारी बयान में पुतिन को 24 फरवरी 2022 से यूक्रेन में ‘वॉर क्राइम’ के लिए जिम्मेदार ठहराया है.

– पुतिन पर यूक्रेनी बच्चों को गैरकानूनी और अवैध तरीके से जबरदस्ती रूस ले जाने का आरोप है. आईसीसी ने कहा कि इस बात को मानने के लिए उचित आधार हैं कि पुतिन इन आपराधिक कृत्यों के लिए जिम्मेदार है.

– आरोप है कि पुतिन ने इन आपराधिक कृत्यों में सीधे तौर पर शामिल थे. इतना ही नहीं, उन्होंने अपने सैनिकों और लोगों को इन कृत्यों को रोका भी नहीं.

– वहीं, मारिया पर भी यही आरोप हैं. मारिया पुतिन के ऑफिस में चिल्ड्रन राइट्स की कमिश्नर हैं. उन्हें भी यूक्रेनी बच्चों के अवैध निर्वासन के लिए जिम्मेदार माना गया है.

– न्यूज एजेंसी ने यूक्रेन के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 24 फरवरी 2022 के बाद से 16 हजार से ज्यादा यूक्रेनी बच्चों को जबरन रूस ले जाया गया है.

तो क्या गिरफ्तार होंगे पुतिन?

– पुतिन पर लगे वॉर क्राइम के आरोपों की जांच आईसीसी के प्रॉसिक्यूटर करीम खान कर रहे हैं. उन्होंने न्यूज एजेंसी को बताया कि अगर पुतिन अगर आईसीसी के 120 सदस्य देशों में से किसी भी देश में जाते हैं, तो उन्हें वहां गिरफ्तार किया जा सकता है.

– उन्होंने बताया कि ये अरेस्ट वारंट फोरेंसिक जांच के आधार पर जारी किया गया है. उन्होंने बताया कि हमने जो सबूत पेश किए थे, वो बच्चों के खिलाफ अपराध पर फोकस थे. बच्चे हमारे समाज का सबसे कमजोर हिस्सा हैं.

– हालांकि, आईसीसी के अध्यक्ष पियोत्र होफमान्स्की का कहना है कि अरेस्ट वारंट को अमल में लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है.

123 देश सदस्य हैं आईसीसी के
– आईसीसी की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, दुनिया के 123 देश इसके सदस्य हैं. इनमें 33 अफ्रीकी देश, 19 एशियाई देश, 19 पूर्वी यूरोपीय देश, 28 लैटिन अमेरिकी और कैरिबियाई देश और 25 पश्चिमी यूरोपीय और अन्य देश हैं.

– आईसीसी के सदस्य देशों में अर्जेंटना, ऑस्ट्रिया, बांग्लादेश, बेल्जियम, कनाडा, कॉन्गो, डेनमार्क, एस्टोनिया, फ्रांस, जर्मनी, हंगरी, जापान, केन्या, लक्जमबर्ग, मालदीव्स, न्यूजीलैंड, नीदरलैंड्स, पोलैंड, पुर्तगाल, साउथ कोरिया, स्वीडन, स्पेन, ताजिकिस्तान, यूके और वेनेजुएला जैसे देश शामिल हैं.

 

पर फंस सकता है पेच?
– आईसीसी ने भले ही पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर दिया है, लेकिन मुकदमा तब तक जारी नहीं हो सकता है, जब तक उन्हें हिरासत में न लिया जाए या फिर वो फिजिकली रूप से मौजूद न हों.

– हालांकि, पुतिन के खिलाफ केस चलाना इसलिए भी मुश्किल है, क्योंकि रूस आईसीसी का सदस्य नहीं है. यही वजह है कि रूस इस अरेस्ट वारंट को कोई ‘तवज्जो’ नहीं दे रहा है.

– विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामले में आईसीसी से हटकर एक अलग ट्रिब्यूनल को सेट अप किया जा सकता है. 1990 के बाल्कन युद्ध और 1994 के रवांडा नरसंहार के समय ऐसा ही किया गया था.

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– हालांकि, इसमें भी दिक्कत ही है. क्योंकि कोई भी ट्रिब्यूनल बिना किसी आरोपी को हिरासत में लिए कोई ट्रायल शुरू नहीं कर सकता. अगर ऐसा होता है कि अंतरराष्ट्रीय कानून का पेच फंस सकता है.

क्या कभी किसी राष्ट्रध्यक्ष पर चला है केस?
– 28 फरवरी 1998 से 11 जून 1999 तक सर्बिया के कोसोवो में एक युद्ध लड़ा गया. ये युद्ध कोसोवो लिबरेशन आर्मी और युगोस्लाविया की सेना के बीच हुआ. युद्ध से पहले कोसोवो सर्बिया का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन बाद में ये अलग देश बन गया.

– एक साल 3 महीने तक चले इस युद्ध में जमकर तबाही मची. हजारों नागरिक मारे गए. ऐसा कहा जाता है कि आज भी हजारों नागरिक लापता है. इस युद्ध को करने पर युगोस्लाविया के तब के राष्ट्रपति स्लोबोदान मिलोसेविक के खिलाफ आईसीसी में केस चलाया गया.

– स्लोबोदान के खिलाफ 1999 में केस दायर किया गया. 2001 में उन्हें हिरासत में ले लिया गया. उनके खिलाफ 2002 में केस शुरू हुआ. 11 मार्च 2006 को स्लोबोदान का शव सेल में मिला. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में आया कि स्लोबोदान की मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई.

क्या होता है वॉर क्राइम?

– 1939 से 1945 तक दूसरा विश्व युद्ध हुआ. भयंकर तबाही मची. साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा लोग मारे गए. परमाणु बम का इस्तेमाल भी हुआ. दूसरे विश्व युद्ध जैसी तबाही फिर से न हो, इसके लिए 1949 में स्विट्जरलैंड के जेनेवा में दुनियाभर के नेता एकजुट हुए. इसे जेनेवा कन्वेंशन कहा जाता है.

– जेनेवा कन्वेंशन के दौरान युद्ध के कुछ नियम तय किए गए. नियमों में तय हुआ कि युद्ध के दौरान आम नागरिकों को टारगेट नहीं किया जाएगा और अगर ऐसा होता है तो इसे ‘वॉर क्राइम’ माना जाएगा.

– कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर जंग में किसी सैन्य ठिकाने को टारगेट किया जाता है और उसमें कई सारे आम नागरिकों की मौत हो जाती है तो इसे भी वॉर क्राइम ही माना जाएगा.

– वॉर क्राइम के मामलों में मुकदमा आईसीसी में चलता है. वॉर क्राइम या युद्ध अपराधों की जांच आईसीसी के प्रॉसिक्यूटर करते हैं. रूस और पुतिन पर लगे वॉर क्राइम की जांच करीम खान कर रहे थे.

 

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