अमेरिकी ऊर्जा विभाग ने 13 दिसंबर 2022 को कहा कि कई दशकों के प्रयास के बाद पहली बार न्यूक्लियर फ्यूजन से अधिक ऊर्जा प्राप्त करने में सफलता हासिल की है. हालांकि अभी इस ऊर्जा से लोगों को फायदा मिलने में समय लगेगा लेकिन भविष्य में लोगों के इसके जरिए साफ-सुथरी, प्रदूषण मुक्त ऊर्जा सप्लाई हो सकती है. जो सस्ती और लगातार मिलती रहेगी. मिशिगन यूनिवर्सिटी में परमाणु इंजीनियरिंग के असिसटेंट प्रोफेसर कैरोलिन कुरंज ने बताया हमने अभी-अभी फ्यूजन रिकॉर्ड तोड़ा है.
फ्यूजन चैंबर में क्या हुआ?
न्यूक्लियर फ्यूजन एक परमाणु प्रतिक्रिया है जो दो परमाणुओं को जोड़कर एक या एक से अधिक नए परमाणुओं को थोड़ा कम द्रव्यमान में बनाती है. इसमें द्रव्यमान में अंतर को ऊर्जा में बदला जाता है. यहां पर आइंस्टीन का E=MC2 लागू होता है. प्रकाश की गति बहुत अधिक होती है. ऐसे में परमाणुओं के कुल द्रव्यमान की एक छोटी सी मात्रा को ऊर्जा में बदलने से काफी ज्यादा एर्नजी निकलती है. यही प्रोसेस न्यूक्लियर फ्यूजन में होता है. कैलिफोर्निया में नेशनल इग्निशन फैसिलिटी के शोधकर्ताओं ने पहली बार इस क्षमता को प्रदर्शित किया है. इसे ‘फ्यूजन इग्निशन’ (Fusion Ignition) के रूप में जाना जाता है. इस प्रयोग को करने के लिए एक सोने के कनस्तर में ड्यूटेरियम और ट्रिटियम के एक्सट्रा न्यूट्रॉन के साथ हाइड्रोजन के दो अणुओं से बने ईंधन के 1 मिलिमीटर पैलेट पर 192 लेजर दागे गए.
जब लेजर कनस्तर से टकराते हैं, तो वो एक्स-रे पैदा करते हैं. जो ईंधन पैलेट को सीसे के घनत्व से लगभग 20 गुना और 30 लाख डिग्री सेल्सियस से अधिक तक गर्म होता है. यानी सूरज की सतह से 100 गुना अधिक गर्म. यदि आप इन स्थितियों को लंबे समय तक बनाए रख सकते हैं, तो ईंधन फ्यूज हो जाएगा और ऊर्जा जारी करेगा.
तो उन्होंने क्या हासिल किया?
फ्यूजन रिएक्शन में की सफलता का आकलन करने के लिए, भौतिक विज्ञानी फ्यूजन की प्रक्रिया से जारी ऊर्जा और लेज़रों के भीतर ऊर्जा की मात्रा के बीच के अनुपात को देखते हैं. इस अनुपात को लाभ कहा जाता है. 5 दिसंबर, 2022 को नेशनल इग्निशन फैसिलिटी ने 20 लाख जूल लेज़र ऊर्जा 15 मिनट के लिए पैदा की. इसके बाद यह ऊर्जा बढ़कर 30 लाख जूल हो गई. अगस्त 2021 में यहां पर 0.7 का लाभ मिला था. पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते इस बार लगभग 1.5 का लाभ है.
क्या सुधार करने की आवश्यकता है?
न्यूक्लियर फ्यूजन पर लगातार काम करने की जरुरत है. इसमें लगातार सुधार संभव है. सकारात्मक परिणाम हासिल करने के लिए वैज्ञानिक दशकों से काम कर रहे हैं. सबसे पहली बात तो यह है कि लेज़रों का अविष्कार 1960 में हुआ है. जब अमेरिकी सरकार ने 2009 में नेशनल इग्नेशन फैसिलिटी का निर्माण पूरा किया, तो यह दुनिया की सबसे शक्तिशाली लेज़र सुविधा थी. जो एक लक्ष्य तक 10 लाख जूल ऊर्जा पहुंचाने में सक्षम थी. आज जो यह 20 लाख जूल पैदा करती है. फ्यूजन की स्थिति को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण है. लेकिन भविष्य में यह संभव है.