कांग्रेस नेता राहुल गांधी लंदन के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में आइडियाज फॉर इंडिया सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। जहां उन्होंने भाजपा और आरएसएस की आलोचना करने में कोई कसर नही छोड़ी। साथ ही रूस- यूक्रेन पर पूछे गए सवाल पर राहुल गांधी का बयान देश की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बारे में पूछे जाने पर राहुल ने इसकी तुलना भारत में चीन की गतिविधियों से की. उन्होंने कहा, “रूसी यूक्रेन से कहते हैं कि हम आपकी क्षेत्रीय अखंडता को मान्यता देने से इनकार करते हैं। हम यह मानने से इनकार करते हैं कि ये दोनों जिले यूक्रेन के हैं। और हम इन दो जिलों में आप पर हमला करने जा रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आप नाटो के साथ गठबंधन तोड़ दें।”
राहुल ने कहा, “कृपया महसूस करें कि यूक्रेन में जो हो रहा है और लद्दाख व डोकलाम में जो हो रहा है, उसमें काफी समानताएं हैं।” उन्होंने कहा, “डोकलाम में मौजूद चीनी बलों को अरुणाचल प्रदेश, जबकि लद्दाख में तैनात बलों को लद्दाख के लिए तैयार किया गया है। वहां भी समान सिद्धांत लागू किया जा रहा है। चीनी कह रहे हैं कि हम क्षेत्र पर आपके अधिकार को स्वीकार नहीं करते हैं। हां, हम अमेरिका के साथ आपके संबंधों को मान्यता देते हैं।”
कांग्रेस नेता ने कहा, “तो हमें समझना होगा कि सीमा पर समस्या है और हमें पसंद हो या न हो, उस समस्या से निपटने की तैयारी करनी होगी। क्योंकि हम अपने क्षेत्र पर अवैध कब्जा नहीं चाहते.” उन्होंने केंद्र सरकार पर चर्चा की अनुमति न देने का आरोप लगाया।
राहुल ने कहा, “चीनी बल आज भारत के अंदर बैठे हैं. उन्होंने पैंगोंग झील के ऊपर एक बड़ा पुल बना लिया है। वे बुनियादी ढांचे का विकास कर रहे हैं। वे निश्चित तौर पर किसी चीज की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन सरकार इसके बारे में बात नहीं करना चाहती है। सरकार चर्चा को दबाना चाहती है. यह भारत के लिए अच्छा नहीं है।”
पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच दो साल से अधिक समय से जारी गतिरोध के बीच इस पुल का निर्माण किए जाने की खबरें हैं। चीनी निर्माण से परिचित लोगों ने बुधवार को कहा था कि नया पुल वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से 20 किलोमीटर से अधिक दूर क्षेत्र में बनाया जा रहा है।
भारत ने शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर चीन द्वारा दूसरा पुल बनाए जाने का कड़ा विरोध किया था। नयी दिल्ली ने कहा था कि यह पुल उस क्षेत्र में बनाया जा रहा है, जो लगभग 60 वर्षों से उस देश के ‘अवैध कब्जे’ में है।
(इस खबर का प्रमुख भाग सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है।)