उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने इस चुनाव से दूर रहने के तृणमूल कांग्रेस के निर्णय को ‘निराशाजनक’ करार देते हुए शुक्रवार को उम्मीद जताई कि ‘साहस की प्रतीक’ ममता बनर्जी इस चुनाव में विपक्ष के साथ खड़ी होंगी. अल्वा ने ट्वीट किया, ‘उप राष्ट्रपति चुनाव से तृणमूल कांग्रेस का अनुपस्थित रहने का फैसला निराशाजनक है. यह वाद-विवाद, अहंकार और गुस्से का समय नहीं है. यह साहस, नेतृत्व और एकता का समय है.’ उन्होंने कहा, ‘मेरा विश्वास है कि ममता बनर्जी, जो साहस का प्रतीक हैं, विपक्ष के साथ खड़ी होंगी.’
उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी पार्टी आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहेगी. उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस उसे जानकारी दिए बिना विपक्षी उम्मीदवार का फैसला करने के तरीके से सहमत नहीं है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है, जिनका मुकाबला अल्वा से होना है.
दिलचस्प बात यह भी है कि तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का कोई नेता 19 जुलाई को अल्वा के नामांकन पत्र दाखिल करने के मौके पर नहीं पहुंचा था. ये दोनों दल उस बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे, जिसमें अल्वा को विपक्ष का साझा उम्मीदवार बनाने का फैसला हुआ था. हालांकि, पवार ने कहा था कि वह तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के संपर्क में हैं.
10 अगस्त को समाप्त होगा वेंकैया नायडू का कार्यकाल: देश के उपराष्ट्रपति को चुनने के लिए निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य शामिल होते हैं. संसद में सदस्यों की मौजूदा संख्या 780 है, जिनमें से केवल भाजपा के 394 सांसद हैं. जीत के लिए 390 से अधिक मतों की आवश्यकता होती है. मौजूदा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त होगा.
अगले उपराष्ट्रपति के लिए मतदान छह अगस्त को: उपराष्ट्रपति के लिए मतदान छह अगस्त को निर्धारित है. राजग ने 2017 में उपराष्ट्रपति पद के लिए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री नायडू को अपना उम्मीदवार बनाया था. भाजपा इस बार भी अपने उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए मजबूत स्थिति में है.