नई दिल्ली। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर जहर उगला है। इस बार उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर वार करते हुए कहा है कि समाज को गांधी की देशभक्ति या आरएसएस के धोखे में से किसी एक को चुनना होगा। शुक्रवार को एक के बाद एक ट्वीट कर एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मोहन भागवत पर हमला बोला। ओवैसी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि हमेशा की तरह आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का भाषण झूठ और अर्धसत्य से भरा था। उन्होंने जनसंख्या नीति की बात करते हुए इस झूठ को दोहराया कि मुस्लिम और ईसाई आबादी में वृद्धि हुई है। जबकि मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि दर में सबसे तेज गिरावट आई है। कोई जनसांख्यिकीय असंतुलन नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि हमें बाल विवाह और लिंग के आधार पर होने वाले गर्भपात जैसे सामाजिक बुराइयों के बारे में चिंता करने की ज़रूरत है। ट्वीट में उन्होंने दावा किया कि करीब 84% शादीशुदा बच्चे हिन्दू समुदाय से आते हैं। 2001-2011 के बीच मुस्लिम महिला-पुरुष अनुपात प्रति 1000 मुस्लिम पुरुषों के लिए 936 से बढ़कर 951 महिलाओं तक पहुंच गया। लेकिन हिंदू अनुपात केवल 931 से बढ़कर 939 हो पाया। भारत ने पहले ही बिना किसी जबरदस्ती जनसंख्या नीति के प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन दर को हासिल कर लिया है। इसके अलावा उन्होंने एक और ट्वीट करते हुए लिखा कि इसी तरह तथ्य विहीन मोहन भागवत भारत की बढ़ती उम्र की आबादी और उम्र बढ़ने में मदद करने के लिए युवा आबादी की आवश्यकता के बारे में चिंतित हैं। उन्हें अपने छात्र मोदी को इसके बारे में बताना चाहिए। किसी भी व्यक्ति ने उस तरह से भारत के डेमोग्राफिक डिविडेंट को नष्ट नहीं किया है, जैसा उन्होंने किया है। भारत की अधिकांश आबादी युवा है। जिसके पास शिक्षा, सरकारी सहायता और नौकरियों की कमी है। उस देश का भविष्य क्या हो सकता है जिसके प्रधानमंत्री चंद पकोड़े स्टॉल से ज्यादा कुछ वादा नहीं कर सकते? जनसंख्या नियंत्रण नीति का मतलब होगा कामकाजी उम्र के कम युवा। वे बढ़ती हुई आबादी का समर्थन कैसे करेंगे?
Deewan Singh
Editor