नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के 17 वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस साल के स्थापना दिवस का विषय ‘हिमालयी क्षेत्र में आपदा घटनाओं का सोपानन प्रभाव’ है। इस अवसर पर श्री अमित शाह ने आपदा मित्र योजना की प्रशिक्षण नियमावली और आपदा मित्र व सामान्य चेतावनी प्रोटोकॉल के योजना दस्तावेज का विमोचन किया। समारोह में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, अजय कुमार मिश्रा और निशिथ प्रामाणिक, केंद्रीय गृह सचिव, एनडीएमए के सदस्य व अधिकारी, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के महानिदेशेक (एनडीआरएफ़) और केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ देशभर से आपदा प्रबंधन से जुड़े लोग वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए अपने सम्बोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि एनडीएमए और इसकी क्रियान्वयन ऐजेंसी के रूप में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ़) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ़) ने पिछले 17 वर्षों में देश के आपदा प्रबंधन के इतिहास को बदलने और पूरे देश की संवेदनशीलता को आपदा प्रबंधन के साथ जोड़ने का काम किया है और ये बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि 130 करोड़ लोगों के देश में, जहां हर राज्य में अलग- अलग मौसम, कई नदियां, पहाड़, लंबे समुद्री तट हैं, इस स्थिति में अगर हम जनता और समाज की संवेदनशीलता, आपदाओं से बचने के लिए वैज्ञानिक व्यवस्थाओं का सूत्रपात और इन व्यवस्थाओं को नीचे तक स्वीकारने की मानसिकता तैयार नहीं कर पाते हैं तो हमें बहुत बड़ी जानहानि और आधारभूत ढांचे की हानि की तैयारी रखनी होगी। लेकिन इन 17 वर्षों में इस क्षेत्र में काफ़ी परिवर्तन आया है। श्री शाह ने एनडीएमए द्वारा शुरू की गईं दो नई पहल – आपदा मित्र और कॉमन अलर्ट प्रोटोकॉल – के बारे में कहा कि आपदा मित्र योजना बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि एनडीएमए को दुनियाभर में आपदा के जोखिम को न्यूनतम करने के लिए हुए शोध या गुड प्रैक्टिस की स्टडी करनी चाहिए और उन्हें हमारे देश की परिस्थितियों तथा चुनौतियों के अनुसार परिवर्तित कर एक कार्यपद्धति में ढालकर लोगों तक ले जाना। श्री शाह ने कहा कि कई प्रयासों और सरकार द्वारा बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध कराने के बावजूद आपदा आते ही एनडीएमए, एनडीआरएफ़ और एसडीआरएफ़ जैसी ऐजेंसियों द्वारा तुरंत कार्रवाई कर पाना मुश्किल है। उन्होने कहा कि कितनी भी व्यवस्था करने के बावजूद इतने बड़े देश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने में कुछ समय लगना स्वाभाविक है। अगर कुछ ही पलों में आपदा के समय तुरंत कार्रवाई करनी है तो वो देश की जनता, समाज और गांव-गांव में प्रशिक्षित आपदा मित्र ही कर सकते हैं और ये एक बहुत अच्छा कॉन्सेप्ट है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आपदा मित्र के सहयोग से जनता को तैयार करना और जिन लोगों में आपदा के ख़िलाफ़ लड़ने, दूसरों के लिए काम करने और अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को बचाने का जज़्बा है, ऐसे लोगों को एकत्रित करके उनका स्किल अपग्रेडेशन करना चाहिए। उन्हें सारे प्रोटोकॉल से अवगत कराने और आपदा आने पर तुरंत कार्रवाई करने की व्यवस्था की जा सकती है। उन्होंने कहा कि आपदा मित्र का क्रियान्वयन 25 राज्यों के 30 बाढ़ग्रस्त ज़िलों में प्रयोगात्मक रूप में किया गया है। 5500 आपदा मित्रों और आपदा सखियों को बाढ़ से बचाव के लिए तैयार करने का काम किया गया है। जिन्हें तैराकी आती है, उनका इसके लिए चयन किया गया और जहां भी बाढ़ आई, इन्होंने बहुत अच्छा काम किया। श्री अमित शाह ने आपदा मित्रों को सरकार और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की ओर से बधाई दी केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि ये प्रयोग अभी बहुत छोटे स्तर पर हुआ है और 130 करोड़ की आबादी वाले देश में 5500 आपदा मित्र और आपदा सखी बहुत छोटी संख्या है। इससे पूरे देश को कवर नहीं किया जा सकता, इसीलिए 350 आपदा प्रभावित ज़िलों में हम आपदा मित्र योजना को लागू करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 17 वर्षों में कई प्रोटोकॉल और एसओपी बनाए गए हैं इन्हें ज़मीन पर उतारने और आपदा के समय तुरंत कार्रवाई करने के लिए 350 ज़िलों में इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा। श्री शाह ने कहा कि इन सभी वॉलंटियर्स और उनके परिवार के मन में आश्वस्तता का भाव पैदा करने के लिए भारत सरकार ने उनका बीमा करने का बहुत बड़ा निर्णय भी लिया है। 28 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने इस योजना के लिए एनडीएमए के साथ एमओयू किया है।
Deewan Singh
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