एक बार की बात है जब सभी देवता महादेव के पास अपनी एक विचित्र समस्या लेकर गए कि ‘किस देवता की पूजा सबसे पहले की जाएगी, इसका निश्चय कैसे होगा?’ तब अपने प्रियजनों के इस सवाल के जवाब में परमपूज्य महादेव जी ने कहा कि “जो भी देवता सृष्टि के 3 चक्कर लगाकर सबसे पहले वापस कैलाश लौटेगा, उसी की पूजा देवताओं में सबसे पहले की जाएगी।” ऐसा सुनते ही सभी देवताओं में प्रतियोगिता शुरू हो गई और वे अपना-अपना वाहन लेकर तेजी से पृथ्वी की परिक्रमा करने चल दिए। कार्तिकेय जी को अपने मयूर से उड़ता हुआ देख गणेश जी ने अपने वाहन मूषक की ओर देखा और चिंतन करने लगे। बुद्धि के देव श्री गणेश की आँखें एकदम से चमकीं और चेहरे पर मंद-मंद मुस्कान लिए वो अपने माता-पिता की ओर बढ़ने लगे। उनके समीप पहुँच के उन्होंने हाथ जोड़ कर महादेव और माता पार्वती की परिक्रमा करनी शुरू कर दी। यह देखकर सभी देवता हैरान रह गए कि गणेश जी आखिर ये क्या कर रहे हैं। बड़े भक्ति-भाव से गणेश जी ने 3 बार परिक्रमा पूरी कर के गणेश जी शिव-पार्वती जी के सामने झुके और बोले कि “इस पूरी सृष्टि में माता-पिता से बड़ा कोई नहीं है, एक बच्चे के लिए उसके माता पिता ही उसका संसार हैं, इसलिए मैंने अपने माता-पिता की परिक्रमा की और पूरी पृथ्वी की परिक्रमा स्वतः ही हो गई।” गणेश जी की इस सूझ-बूझ को देखकर सभी देवी-देवता प्रसन्न हुए और उनकी इस सोच व समझदारी से खुश होकर महादेव जी ने उन्हें प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया।
Deewan Singh
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