नई दिल्ली। देशभर में आज 71वां संविधान दिवस हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। देश के संसद से लेकर सभी राज्यों में संविधान दिवस को लेकर कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। तमाम राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिंक संगठनों के साथ ही देश की जनता बाबा साहेब अम्बेड़कर को नमन कर रही है। संविधान दिवस के मौके पर संसद के सेंट्रल हॉल में मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित कई राजनीतिक हस्तियां शिरकत कर रही हैं। हांलाकि कांग्रेस के साथ ही कुछ अन्य राजनीतिक पार्टियों ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया है। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जहां बाबा साहेब अम्बेडकर को नमन किया तो वहीं बिना नाम लिए कांग्रेस पर जोरदार हमला भी बोला। यही नहीं प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सम्बोधन में 26/11 मुंबई हमलों का जिक्र भी किया और इन हमलों में जान गंवाने वाले लोगों को श्रृद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने कहा कि आज का दिन अंबेडकर, राजेंद्र प्रसाद जैसे दूरंदेशी महानुभावों को नमन करने का है। आज का दिन इस सदन को प्रणाम करने का है। वहीं उन्होंने कहा कि आज 26/11 का भी दिन है। वो दुखद दिन, जब देश के दुश्मनों ने देश के भीतर आकर मुंबई में ऐसी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया। भारत के संविधान में सूचित देश के सामान्य आदमी की रक्षा की जिम्मेदारी के तहत अनेक हमारे वीर जवानों ने उन आतंकवादियों से लोहा लेते-लेते अपने आपको समर्पित कर सर्वोच्च बलिदान किया। मैं आज उन सभी बलिदानियों को नमन करता हूं।
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि कभी हम सोचें कि हमें संविधान बनाने की जरूरत होती तो क्या होता। आजादी की लड़ाई, विभाजन की विभीषिका के बावजूद देशहित सबसे बड़ा है, हर एक के हृदय में यही मंत्र था संविधान बनाते वक्त। विविधिताओं से भरा देश, अनेक बोलियां, पंथ और राजे-रजवाड़े इन सबके बावजूद संविधान के माध्यम से देश को एक बंधन में बांधकर देश को आगे बढ़ाना। आज के संदर्भ में देखें तो संविधान का एक पेज भी शायद हम पूरा कर पाते। क्योंकि नेशन फर्स्ट पर राजनीति ने इतना प्रभाव पैदा कर दिया है कि देशहित पीछे छूट जाता है। कहा कि देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक जाइए। भारत ऐसे संकट की तरफ बढ़ रहा है, वो है पारिवारिक पार्टियां। राजनीतिक दल पार्टी फॉर द फैमिली, पार्टी बाई द फैमिली और अब आगे कहने की जरूरत नहीं लगती है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक राजनीतिक दलों को देखिए ये लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है। संविधान हमें जो कहता है, उसके विपरीत है। जब मैं कहता हूं कि पारिवारिक पार्टियां, मैं ये नहीं कहता कि परिवार से एक से अधिक लोग न आएं। योग्यता के आधार पर और जनता के आशीर्वाद से आएं।
Deewan Singh
Editor