नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दाखिलों और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण (EWS Reservation) का प्रावधान करने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधता को दो के मुकाबले तीन मतों के बहुमत से सोमवार को बरकरार रखा. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता.
चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस. रविंद्र भट, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने फैसला दिया. 5 जजों की बेंच में से 3 न्यायमूर्तियों जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने ईडब्ल्यूएस कोटा को बरकरार रखा. CJI UU ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट ने अपने अल्पसंख्यक फैसले में EWS कोटा को रद्द कर दिया.
सुनवाई की शुरुआत में प्रधान न्यायाधीश यू यू ललित ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चार विभिन्न फैसले हैं.
न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने अपना निर्णय पढ़ते हुए कहा कि 103वें संविधान संशोधन को संविधान के मूल ढांचे को भंग करने वाला नहीं कहा जा सकता.
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने कहा कि 103वें संविधान संशोधन को भेदभाव के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता.
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला ने उनके विचारों से सहमति जताई और संशोधन की वैधता को बरकरार रखा.
न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट ने अपना अल्पमत का विचार व्यक्त करते हुए ईडब्ल्यूएस आरक्षण संबंधी संविधान संशोधन पर असहमति जताई और उसे रद्द कर दिया.
प्रधान न्यायाधीश ललित ने न्यायमूर्ति भट के विचार से सहमति व्यक्त की.