नई दिल्ली. सरकार ने चीन की सीमा से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control-LAC) के करीब अरुणाचल प्रदेश में एक दो लेन ब्रिज को बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस ब्रिज की बदौलत हॉवित्जर तोप जैसे भारी रक्षा साजो-सामान को ले जाने में इस्तेमाल होने वाले सेना (Army) के भारी वाहनों की लिए LAC की दूरी 180 किमी. तक कम हो जाएगी. 386 मीटर लंबे इस पुल के बनने के साथ अगले 3 साल में अरुणाचल प्रदेश के अपर सियांग जिले में सियांग नदी के ऊपर 4.5 किमी. लंबी नई एप्रोच रोड भी तैयार होगी. 199 करोड़ रुपये लागत की इस परियोजना के लिए सरकार ने 24 मार्च को बोलियां मंगाईं हैं.
यह नई सड़क और पुल अरुणाचल प्रदेश के अपर सियांग जिले (Upper Siang district) में भारत-चीन सीमा पर सेना और पैरामिलिट्री फोर्स (paramilitary forces) को आसान और तुरंत पहुंचने के लिए मार्ग सुगम करेगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने News18 को बताया कि साथ ही इसके जरिए यिंगकियोंग-टुटिंग मार्ग से आने-जाने वाले भारी वाहनों को बेहतर कनेक्टिविटी मिल सकेगी. ये प्रस्तावित पुल यिंगकियोंग से टुटिंग को जोड़ता है. जिसकी बदौलत भारी वाहनों के लिए 330 किमी. लंबा रास्ता घटकर केवल 150 किमी. ही रह जाएगा. गौरतलब है कि यिंगकियोंग शहर में प्रस्तावित पुल की साइट के पास सियांग नदी पर एक गांधी ब्रिज (Gandhi Bridge) है. जिसका उद्घाटन चार साल पहले किया गया था.
तेज पहाड़ी ढाल वाले इलाके में बनेगा नया पुल
यह भारत का सबसे लंबा सिंगल लेन स्टील केबल ब्रिज है. लेकिन यह ब्रिज सियांग नदी (river Siang) के आरपार आवागमन के लिए फिलहाल भारी वाहनों का बोझ उठाने में सक्षम नहीं है. इस वजह से सेना के उपकरणों और बड़े आकार के भारी साजो-सामान के लिए परिवहन में यह रास्ते की एक बड़ी बाधा के तौर पर देख जाता रहा है. इसलिए सीमा सड़क संगठन (BRO) सियांग नदी पर एक नया दो लेन वाला पुल तैयार करेगा. यह परियोजना एक बहुत तेज ढलानों वाले पहाड़ी इलाके में बनाई जाने वाली है. सेना के अलावा यह पुल यिंगकियोंग शहर के लोगों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा. ये नया पुल सियांग नदी के पश्चिमी क्षेत्र को एनएच-513 से जोड़ेगा, जो इस शहर तक पहुंच का एक वैकल्पिक मार्ग होगा.
चीन से झड़प के बाद LAC पर बुनियादी ढांचे को लेकर भारत गंभीर
2021 में LAC पर अरुणाचल प्रदेश के तवांग और यांग्त्जे में हुई चीन के साथ झड़प की वजह से सरकार इस राज्य में सीमा के पास बुनियादी ढांचे में मजूबूती के लिए तेजी से काम कर रही है. केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जनवरी में राज्य के सियांग जिले में 100 मीटर लंबे स्टील आर्क सियोम ब्रिज का उद्घाटन किया था. यह पुल एलएसी के लिए वैकल्पिक मार्ग सुगम करेगा. सियोम पुल अपर सियांग में सैनिकों और हॉवित्जर जैसे भारी उपकरणों की तेज आवाजाही की सुविधा प्रदान कर रहा है. सियांग पर नए प्रस्तावित पुल की मदद से ऐसे उपकरणों को एलएसी के करीब तेजी से ले जाने में मदद मिलेगी.
अरुणाचल प्रदेश में सबसे पूर्वी गांव तक बन रही सड़क
न्यूज 18 ने 3 फरवरी को अपनी रिपोर्ट बताया था कि भारत ने अरुणाचल प्रदेश में सबसे पूर्वी गांव तक के लिए एक रणनीतिक 78 किमी. लंबी सड़क का निर्माण शुरू कर दिया है. ये गांव एलएसी से महज 4 किमी. की दूरी पर है. वहां यह सड़क भारत, चीन और म्यामांर के त्रिकोणीय जंक्शन को छूती है. यह परियोजना डोंग से शुरू होगी जो अरुणाचल प्रदेश में लोहित और सेती नदी के संगम पर स्थित है. यह सड़क एलएसी से 4 किमी दूर स्थित जाचेप कैंप तक जाती है.
अरुणाचल प्रदेश में कई बार हुई चीन से झड़प
अरुणाचल प्रदेश लंबे समय से भारत और चीन की झड़पों का गवाह रहा है. पिछले साल दिसंबर में राजनाथ सिंह ने खुलासा किया था कि चीनी दल ने तवांग सेक्टर में यांग्त्जे से एलएसी पार करने की कोशिश की थी लेकिन हमारे जाबांज सैनिको की बदौलत उनके इरादे नाकाम हो गए थे. इसी तरह अक्टूबर 2021 में भी एक बड़े चीनी गश्ती दल ने यांग्त्जे में एलएसी को पार करने का प्रयास किया था, जिसकी वजह से दोनों पक्षों आमने-सामने आ गए थे.