नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कोविड महामारी से निपटने के लिए केंद्र द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की और कहा कि भारत ने जो किया है वह कोई दूसरा देश नहीं कर पाया। शीर्ष अदालत ने केंद्र द्वारा कोविड के कारण जानमाल के नुकसान के मुआवजे का भुगतान करने पर दायर हलफनामों को रिकॉर्ड किया और कहा कि वह इस पर उचित आदेश पारित करेगा। हाल ही में एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि कोरोना वायरस अब महामारी नहीं रह गया है। हालांकि उन्होंने लोगों से यह भी कहा था कि जब तक भारत में हर व्यक्ति को वैक्सीन नहीं लग जाती है, तब तक सतर्क रहने की जरूरत है। उनके इस बयान का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे बयान दिए जाने जरूरी हैं, क्योंकि लोगों को लगता है कि महामारी खत्म हो गई है और वे एक स्वतंत्र पक्षी की तरह व्यवहार खुलकर जीना शुरू कर देंगे। इसके पहले केंद्र सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने कोविड-19 से जान गंवा चुके लोगों के परिजन को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की सिफारिश की है। केंद्र ने कहा कि कोविड-19 राहत कार्य में शामिल रहने या महामारी से निपटने के लिए तैयारियों से जुड़ी गतिविधियों में शामिल रहने के चलते संक्रमण से जान गंवाने वालों के परिजन को भी अनुग्रह राशि दी जाएगी। सरकार ने कहा कि एनडीएमए ने शीर्ष न्यायालय के 30 जून के निर्देशों के अनुपालन में 11 सितंबर को दिशानिर्देश जारी किया। न्यायालय ने प्राधिकरण को अनुग्रह राशि सहायता के लिए दिशानिर्देशों की सिफारिश करने कहा था।
Deewan Singh
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