कुछ दिनों पहले भारत (India) की राजधानी दिल्ली (Delhi) में पुलिस ने एक किडनी रैकेट (Kidney Racket) का भंडाफोड़ किया. दक्षिणी दिल्ली में दबोचे गए इस गिरोह ने शुरुआती पूछताछ में पिछले 6 महीने में 14 मामलों किडनी की तस्करी को अंजाम देने की बात कबूली. इससे पहले साल 2019 जून में भी कानपुर में किडनी रैकेट का भंडाफोड़ चर्चित हुआ था और 2019 के फरवरी माह में अवैध रूप से किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह के सदस्यों को दबोचा गया था. लेकिन यह घटनाएं दुनिया में इंसानी अंगों की तस्करी(Human organ trafficking) की बड़ी समस्या की ओर एक छोटा इशारा भर हैं.
अमेरिका(US) की सरकारी कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस के अनुसार, मानव अंगों के तस्करी के बाज़ार को रेड मार्केट (“red market”) कहते हैं. गैर सरकारी संगठन ग्लोबल फाइनेंशियल इंटीग्रिटी (Global Financial Integrity GFI) के आंकलन के मुताबिक विश्व में मानव अंगों की तस्करी का बाजार $840 मिलियन से $1.7 बिलियन तक का है. GFI के अनुसार, हर साल दुनिया में 12,000 मानव अंगों का गैरकानूनी प्रत्यारोपण होता है और इनमें से 8000 किडनी होती है, इनके बाद, लिवर, हार्ट, फेंफड़े और पेनक्रियाज़ का नंबर आता है.
मानव अंगों की तस्करी आम तौर पर भ्रष्ट अधिकारियों और आपराधिक समूहों की सांठ-गांठ से होता है. इसमें बिचौलिए शामिल होते हैं जो अंग देने के लिए लोगों को तैयार करते हैं, उनसे पैसे की बात करते हैं और ऐसे सेंटर्स और मेडिकल प्रोफेशनल की पहचान करते हैं जहां मानव अंगों की तस्करी की जा सकती है.
डॉ हिमांशु ने बताया,” दो तरह के ऑर्गन डोनेशन होते हैं, केदेवेरिक डोनेशन (Cadaveric donation) जो ब्रेन डेड वयक्ति के अंगों का दान होता है, दूसरा होता है फिर लाइव डोनेशन होता है . इसमें होटा एक्ट (human organ and Tissue Act) के तहत मां बाप, बच्चे, पति-पत्नि, भाई-बहन एक दूसरे को कुछ अंग दान कर सकते हैं. दूर के रिश्तेदारों को अंग दान की अनुमति नहीं होती है. इसके लिए लीगल कमेटी बैठती है, वही दूर के रिश्तेदारों की अंग-दान की याचिका पर फैसला करती है.