वाराणसी। बहुचर्चित ज्ञानवापी- मां श्रृंगार गौरी केस की सुनवाई आज वाराणसी के जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश के कोर्ट में होगी। अदालत कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर आज अपना फैसला सुना सकता है। मालूम हो कि सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने से मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा वैज्ञानिक जांच किए जाने की मांग को लेकर हिंदू पक्ष द्वारा याचिका दायर किया गया था। 11 अक्टूबर यानी पिछली सुनवाई में इस पर मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
नवाई के लिए भी कोर्ट ने आज का ही दिन फिक्स किया है। उधर, कोर्ट के संभावित आदेश के मद्देनजर वाराणसी कमिश्नरेट की पुलिस और खुफिया तंत्र को अतिरिक्त सतर्कता बरतते हुए ड्यूटी करने के लिए कहा गया है। कोर्ट ने 11 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रखा था। आज कोर्ट ये तय करेगी कि कार्बन डेटिंग या वैज्ञानिक तकनीक द्वारा ज्ञानवापी परिसर की जांच करवाई जाएगी या नही।
मामले के मुताबिक, ज्ञानवापी परिसर में जिस मुस्लिम समुदाय फव्वारा बता रहा था उसे हिंदू पक्ष शिवलिंग बता रहा है और हिंदू पक्ष ने इस की जांच के लिए कार्बन डेटिंग की मांग की है,ताकि उक्त की सही उम्र इत्यादि का पता चल सके और सच दुनिया के सामने आ सके।
क्या होती है कार्बन डेटिंग?
किसी भी वस्तु की उम्र और समय निर्धारण की तकनीक को कार्बन डेटिंग कहते हैं,इस विधि से 20 हजार साल पुरानी वस्तुओं तक की उम्र का पता लगाया जा सकता है। इसलिए हिंदू पक्ष शिवलिंग की उम्र का पता लगवाने के पक्ष में है। यह पूरा मामला मस्जिद की दीवार से सटी श्रृंगार गौरी की पूजा अर्चना की इजाजत की मांग से शुरू हुआ था, जो शिवलिंग के दावे तक पहुंचा है। कार्बन डेटिंग विधि की खोज 1949 में हुई थी तब से लेकर आजतक कई पुरातत्व सर्वेक्षण में मूर्तियों इत्यादि की कार्बन डेटिंग की जा चुकी है और उनकी सही उम्र का पता लगाया जा चुका है।
आपको बता दें कि इसी वर्ष मई माह में ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हुआ था जिस पर हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि ज्ञानवापी परिसर में वजुखाने के अंदर एक शिवलिंग है उसी शिवलिंग की ओर नंदी बैल का मुँह भी है । वही मुस्लिम पक्ष ने उसे फव्वारा बताया है। इस मामले में चार महिलाओं ने मिलकर कार्बन डेटिंग की मांग की है और मामले की सुनवाई वाराणसी के जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में होनी है।