विदेश में डाक्टर बनने गया, लेकिन हो गया विदेशी महिला से प्यार, फिर विदेशी महिला से शादी करके युवक हिंदुस्तान लौट आया अपनी विदेशी पत्नी के साथ, लेकिन कुछ समय बाद दोनों के रिस्तों में एसी खटास पैदा हुई कि विदेशी महिला दरदर भटकने के लिए छोड दिया, आखिर विदेशी महिला कानून की चौखट तक पहुंच गयी, और पति समेत पुरिवार के अन्य लोगों को भी कटघरे में खडा दिया, लेकिन बेहद ही रोचक है न्यायालय का फैसला देखिया हमारी ये रिपोर्ट।
एक विदेशी महिला को घरेलू हिंसा के एक मामले में हाथरस के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सादाबाद शशि कुमार ने छह लाख रुपये एकमुश्त देने के आदेश उसके पति, जेठ, ससुर व जेठ के पुत्र को दिए हैं। इस महिला ने अपने पति व इन ससुरालीजनों पर घरेलू हिंसा का मुकदमा कोर्ट में दायर किया था। याचिका के मुताबिक सादाबाद के गांव मुकंदपुर भाग बिसावर निवासी विजय गौतम 1993 में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए किर्गिस्तान गया था। वहां अल्माता में उसकी मुलाकात ओल्गा से हुई। दोनो में नजदीकी बढ़ गई और विजय ने ओल्गा से शादी कर ली। विजय बिना मेडिकल का कोर्स पूरा किए ओल्गा को यहां लेकर आ गया। वहां से लौटने के बाद ओल्गा अपने पति के साथ पहले आगरा रही और फिर मथुरा रही। वर्ष 2013 में वह बिसावर में रहने लगे। बिसावर में उसके पति, ससुर व जेठ का मकान व खेतीबाड़ी है। आरोप है कि ओल्गा को तीन साल पहले उसके पति विजय गौतम, जेठ अजय गौतम, ससुर श्यामलाल गौतम, जेठ के बेटे गौरव गौतम ने घर से निकाल दिया। वह करीब दो साल से नगला भुस स्थित वृद्ध आश्रम में रह रही है। ओल्गा को अभी भारत की नागरिकता नहीं मिली है। वह एक साल के वीजा पर रहती है और हर साल वीजा बढ़वाना पड़ता है।
ओल्गा का कहना है कि वीजा के पैसे का वह जैसे-तैसे इंतजाम कर पाती है। आरोप है कि भारत की नागरिकता के लिए ओल्गा को जो कागजात चाहिए, वह भी ससुरालीजनों ने नहीं दिए हैं। ओल्गा का कहना है कि उसे यह नहीं मालूम कि उसका पति कहां है। उसके अन्य ससुरालीजन आगरा में रहते हैं।
ओल्गा ने इस मामले में न्यायालय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सादाबाद में याचिका दायर की। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने ओल्गा के ससुरालीजनों विजय गौतम, अजय गौतम, श्यामलाल गौतम, गौरव गौतम को आदेश दिया है कि वह ओल्गा को प्रतिकर के रूप में एक मुश्त छह लाख रुपये दो माह के अंदर अदा करें।
न्यायालय ने ससुरालीजनों को यह भी आदेश दिया है कि ओल्गा को अपने मकान में जीवन यापन की सभी मूलभूत सुविधाएं युक्त एक कमरा निवास हेतु दें। यदि मकान में कमरा न हो तो एक कमरा किराए का उपलब्ध कराएं, जिसमें सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हों। इसका किराया देने का दायित्व ससुरालीजनों पर होगा। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि ससुरालीजन ओल्गा के साथ किसी भी तरह की घरेलू हिंसा नहीं करेंगे। उसे वीजा बढ़वाने हेतु आवश्यक प्रपत्र उपलब्ध कराएंगे। कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिला प्रोबेशन अधिकारी आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराएं। ओल्गा की ओर से पैरवी उत्तम पाराशर एडवोकेट ने की।
न्यायालय ने ससुरालीजनों को यह भी आदेश दिया है कि ओल्गा को अपने मकान में जीवन यापन की सभी मूलभूत सुविधाएं युक्त एक कमरा निवास हेतु दें। यदि मकान में कमरा न हो तो एक कमरा किराए का उपलब्ध कराएं, जिसमें सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हों। इसका किराया देने का दायित्व ससुरालीजनों पर होगा। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि ससुरालीजन ओल्गा के साथ किसी भी तरह की घरेलू हिंसा नहीं करेंगे। उसे वीजा बढ़वाने हेतु आवश्यक प्रपत्र उपलब्ध कराएंगे। कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिला प्रोबेशन अधिकारी आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराएं। ओल्गा की ओर से पैरवी उत्तम पाराशर एडवोकेट ने की।