2002 के गोधरा कांड के बाद बिलकिस बानो गैंगरेप और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के लिए उम्रकैद के सभी 11 दोषियों की रिहाई ने केंद्र और गुजरात की सरकारों को मुश्किल में डाल दिया है. केंद्र और गुजरात में भाजपा की सरकारें हैं. लेकिन बिलकिस बानो के मामले में दोषियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाए, इसपर सरकारें अपनी नीतियों में भिन्न प्रतीत हो रही हैं. इस साल जून में केंद्र सरकार ने सजायाफ्ता कैदियों के लिए विशेष रिहाई नीति का प्रस्ताव रखा था और इसके लिए राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए थे. दिशानिर्देशों में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि बलात्कार के दोषी उन लोगों में से हैं जिन्हें इस नीति के तहत विशेष रिहाई नहीं दी जानी है.
बिलकिस बानो के सभी दोषी रिहा
लेकिन बिलकिस बानो मामले में ऐसा नहीं हुआ. गुजरात सरकार ने गैंगरेप के दोषियों को क्षमा नीति के तहत रिहा कर दिया. इन दोषियों ने 15 साल से अधिक जेल की सजा काट ली थी. दोषियों में से एक ने अपनी समय से पहले रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. पैनल की अध्यक्षता करने वाले पंचमहल कलेक्टर सुजल मायात्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को उनकी सजा में छूट के मुद्दे पर गौर करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद सरकार ने एक समिति का गठन किया.
अपनी ही नीतियों पर सरकार का अमल नहीं?
मायात्रा ने कहा कि कुछ महीने पहले गठित समिति ने मामले के सभी 11 दोषियों को रिहा करने के पक्ष में सर्वसम्मति से फैसला लिया. राज्य सरकार को सिफारिश भेजी गई थी और हमें उनकी रिहाई के आदेश मिले. गुजरात सरकार का फैसला बलात्कार के दोषियों को रिहा करने के केंद्र के विरोध के खिलाफ जाता है. केंद्र की विशेष नीति के दिशा-निर्देशों के पेज 4 पर बताए गए बिंदु 5(vi) में कहा गया है कि ‘बलात्कार’, मानव तस्करी और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के अपराध के लिए दोषी ठहराए गए कैदियों को विशेष छूट नहीं दी जाएगी.
गर्भवती बिलकिस बानो से गैंगरेप
2002 में गुजरात में दंगा भड़का था. गुजरात के गोधरा में कारसेवकों से भरी ट्रेन की बोगी में आग लगा दई गई थी. इस हृदयविदारक घटना में 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी. जिसके बाद बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप की घटना सामने आई थी. तब बिलकिस बानो 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थी. 3 मार्च, 2002 को उनके साथ बलात्कार किया गया और उनके परिवार के छह सदस्यों और उनकी बच्ची की हत्या कर दी गई थी.
11 दोषियों को हुई उम्रकैद
गैंगरेप और हत्या के मामले में 2008 में मुंबई की एक विशेष अदालत ने 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे बरकरार रखा. इस साल की शुरुआत में, दोषियों में से एक ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत समय से पहले रिहाई की गुहार लगाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार अपनी 1992 की नीति के अनुसार निर्णय ले सकती है, जो दोषसिद्धि के समय लागू थी.
दोषियों की रिहाई पर बिलकिस के पति ने क्या कहा?
दोषियों की रिहाई के बाद बिलकिस बानो के पति याकूब रसूल ने कहा कि परिवार रिहाई पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता है. उन्होंने कहा कि हमें इस बारे में नहीं बताया गया था. हम केवल अपने प्रियजनों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करना चाहते हैं जिन्होंने दंगों में अपनी जान गंवाई है. रसूल ने कहा कि वह, उनकी पत्नी बिलकिस और उनके पांच बेटे एक निश्चित पते के बिना रह रहे हैं. हर दिन, हम उन लोगों को याद करते हैं जो इस घटना में मारे गए थे, जिसमें हमारी बेटी भी शामिल थी.