नई दिल्ली. चीन की एक चालाकी सामने आई है, जिससे वह अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने में लगा है. दरअसल, सीसीटीवी के तौर पर भारत में चीन के करीब 10 लाख जासूस हैं और इसके जरिए वह देश की तमाम गतिविधियों पर नजर रख रहा है. चीन की इस नजर पर केंद्र सरकार के आईटी मिनिस्ट्री की नज़र है. बीजिंग ‘मेड इन चाइना’ सीसीटीवी से भारत की एक्टिविटीज पर अपनी निगाह बनाए हुए हैं.
न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 10 लाख सीसीटीवी कैमरे मौजूद हैं, जो साइबर सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं. सस्ता होने के चलते भारत मे चाइनीज सीसीटीवी की खरीद बड़े स्तर पर होती है, लेकिन केंद्रीय एजेंसियां इस मामले को लेकर अब सतर्क हो चुकी है. अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने चीन की तरफ से की जा रही संभावित ‘जासूसी’ को देखते हुए ही उनके देश में बने सीसीटीवी पर नकेल कसी है.
प्रधानमंत्री से चीनी सीसीटीवी कैमरे पर प्रतिबंध लगाने की मांग
इस बीच, अरुणाचल प्रदेश के कांग्रेस विधायक निनोंग इरिंग ने खतरे की आशंका जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देश में चीन निर्मित सीसीटीवी कैमरे पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया है. पासीघाट पश्चिम के विधायक इरिंग ने रविवार को प्रधानमंत्री मोदी को लिखे एक पत्र में अपने घरों में चीनी सीसीटीवी कैमरे का उपयोग नहीं करने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए एक अभियान शुरू करने का भी सुझाव दिया.
‘मेड इन चाइना’ CCTV कैमरे बीजिंग के लिए कर सकते हैं जासूसी
विधायक ने कहा कि आवश्यकतानुसार सीसीटीवी डेटा को सुरक्षित रखने के लिए सरकार स्वदेशी क्लाउड-आधारित सर्वर शुरू करने पर विचार कर सकती है. उन्होंने अपने पत्र में कहा, ‘आईटी क्षेत्र में भारत के कौशल को देखते हुए, हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इस खतरे से निपटने में सक्षम हैं.’
मीडिया में आई एक खबर का हवाला देते हुए विधायक ने कहा कि देश में उपयोग किए जा रहे चीन निर्मित सीसीटीवी कैमरे बीजिंग द्वारा ‘आंख और कान’ के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं.