गौरतलब है कि उत्तराखण्ड में निकाय चुनाव नवम्बर में होने थे, लेकिन ओबीसी सर्वेक्षण के चलते चुनाव निर्धारित समय से देरी पर होने की सम्भावनाएं पुरी तरह से बनी है। 09 नगर निगम, 43 नगर पालिका परिषद और 50 नगर पंचायतों में चुनाव होने हैं पर इससे पहले सभी निकायों में ओबीसी सर्वेक्षण का काम एकल सदस्यीय समर्पित आयोग के निर्देशों पर किया जा रहा है । उत्तराखंड में चल रहे निकायों के ओबीसी सर्वेक्षण में बड़े पैमाने पर घपला भी सामने आया है जिसकी वजह से नवंबर माह में संभावित निकाय चुनाव पर संकट पैदा हो गया है। ऐसी भी तमाम चर्चाएं हैं कि एकल सदस्यीय आयोग के अध्यक्ष ने सख्त नाराजगी जताते हुए अपर मुख्य सचिव को इस बाबत चिट्ठी भी भेज डाली है जिसमें उन्होंने सर्वेक्षण की गड़बड़ियों और सुस्त रफ्तार को लेकर सर्वेक्षण पूरा न होने को लेकर बात कही है हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग बीती 12 अप्रैल को शासन से सभी निकायों के परिसीमन को लेकर ‘डिटेल रिपोर्ट’ के लिए पत्र भी लिख चुका है लेकिन राज्य सरकार या फिर शासन की तरफ से इस पर अभी कोई जवाब नहीं आ पाया है जिसको लेकर निर्वाचन आयोग से जुड़े शीर्ष अधिकारी भी मीडिया डोमेन में कुछ बोलने पर कन्नी काटते नज़र आ रहे हैं। मार्च माह में सर्वेक्षण की अंतिम तिथि तय की गई थी लेकिन निकायों में तय समय पर काम पूरा नहीं किया गया । नगर पालिका खटीमा में सर्वे वार्डवार के बजाए आंकड़ों के आधार पर किया गया हालांकि आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए खटीमा का सर्वे रद्द कर दिया है। अब शहरी विकास निदेशक को यहां दो सप्ताह के भीतर काशीपुर के अधिकारियों की निगरानी में दोबारा सर्वे कराने को कहा गया है। साथ ही खटीमा के अधिशासी अधिकारी को रुद्रपुर संबद्ध किया गया है। दूसरी तरफ नगर पालिका चंपावत और धारचूला के सर्वेक्षण में भी गड़बड़ियां मिलीं। इस पर आयोग ने धारचूला को 15 दिन और चंपावत को सात दिन के भीतर सर्वेक्षण की सभी खामियां दूर करते हुए दोबारा रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
Deewan Singh
Editor