उत्तराखंड में इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के अधिकारी केंद्र से नामित होने के बावजूद भी तमाम प्रशिक्षण पाठ्यक्रम या कार्यशालाओं में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं। इसकी वजह उत्तराखंड शासन से इन नामित अधिकारियों को अनुमति नहीं मिल पाना है। बड़ी बात यह है कि भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने भी बाकायदा राज्य में आईएफएस अधिकारियों की इस हालत पर पत्र लिखकर चिंता जाहिर कर दी है।
केंद्र सरकार अधिकारियों के प्रशिक्षण को बेहतर कर उनकी कार्यक्षमताओं को बढ़ाने का प्रयास कर रही है। भारत सरकार का मानना है कि तमाम प्रशिक्षणों और कार्यशालाओं के माध्यम से अधिकारियों के काम करने की गुणवत्ता को बेहतर किया जा सकता है। इसके लिए ऑल इंडिया सर्विस के अधिकारियों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण और कार्यशालाएं भी आयोजित कराई जाती हैं। लेकिन उत्तराखंड में परेशानी इंडियन फॉरेस्ट सर्विस यानी आईएफएस अफसरों को लेकर पैदा हो गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश में आईएफएस अधिकारियों को भारत सरकार से प्रशिक्षण या कार्यशालाओं हेतु नामित किए जाने के बाद भी उन्हें अवमुक्त नहीं किया जा रहा है। अब तक ऐसे कई आईएफएस अधिकारी हैं जिन्हें केंद्र द्वारा प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के लिए नामित किया गया। लेकिन राज्य से उन्हें अवमुक्त न किए जाने के कारण वह प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए।
उत्तराखंड में ऐसे 12 से ज्यादा आईएफएस अधिकारी हैं, जिन्हें प्रशिक्षण में जाने के लिए शासन से अनुमति नहीं मिल पाई। हालांकि कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जिन्हें भारत सरकार के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के लिए अनुमति दी गई है। सूत्र बताते हैं कि ऐसे अधिकारियों में वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी धनंजय मोहन, अमित वर्मा, जीवन मोहन, सुरेंद्र मेहरा और पुनीत तोमर का नाम शामिल है। जबकि कुछ अधिकारी ऐसे हैं जो यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिरकार उन्हें अनुमति क्यों नहीं दी गई है। उत्तराखंड शासन की तरफ से आईएफएस अधिकारियों को प्रशिक्षण के लिए अनुमति नहीं दिए जाने के बाबत भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से पत्र भी भेजा गया है। उप वन महानिरीक्षक पर्यावरण भारत सरकार की तरफ से भेजे गए इस पत्र में एक तरफ जहां समय पर अधिकारियों को कार्य मुक्त कर प्रशिक्षण हेतु भेजने के लिए कहा गया है तो वहीं दूसरी तरफ यदि किसी वजह से नामित किए गए अधिकारी को प्रशिक्षण के लिए नहीं भेजा जा पा रहा है तो राज्य सरकार द्वारा किसी दूसरे नाम की सिफारिश किए जाने का भी विकल्प दिया गया है। जाहिर है कि किसी भी स्थिति में भारत सरकार प्रशिक्षण के लिए अधिकारियों की ज्यादा से ज्यादा मौजूदगी को रखना चाहती है। खास बात यह है कि उत्तराखंड शासन को भी भारत सरकार के इस पत्र की पूरी जानकारी दी गई है। साथ ही प्रशिक्षण के लिए अनुमति दिए जाने को लेकर भारत सरकार की मंशा को भी स्पष्ट किया गया है। अधिकारियों के स्किल मैनेजमेंट को और बेहतर करने साथ ही नए आइडियाज को प्रशिक्षण के दौरान अफसरों द्वारा साझा किए जाने का भी प्रयास किया जाता है। लिहाजा ऐसे प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को अहम माना गया है।
ऐसे 12 से ज्यादा आईएफएस अधिकारी हैं, जिन्हें प्रशिक्षण में जाने के लिए शासन से अनुमति नहीं मिल पाई। हालांकि कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जिन्हें भारत सरकार के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के लिए अनुमति दी गई है। सूत्र बताते हैं कि ऐसे अधिकारियों में वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी धनंजय मोहन, अमित वर्मा, जीवन मोहन, सुरेंद्र मेहरा और पुनीत तोमर का नाम शामिल है। जबकि कुछ अधिकारी ऐसे हैं जो यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिरकार उन्हें अनुमति क्यों नहीं दी गई है। उत्तराखंड शासन की तरफ से आईएफएस अधिकारियों को प्रशिक्षण के लिए अनुमति नहीं दिए जाने के बाबत भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से पत्र भी भेजा गया है। उप वन महानिरीक्षक पर्यावरण भारत सरकार की तरफ से भेजे गए इस पत्र में एक तरफ जहां समय पर अधिकारियों को कार्य मुक्त कर प्रशिक्षण हेतु भेजने के लिए कहा गया है तो वहीं दूसरी तरफ यदि किसी वजह से नामित किए गए अधिकारी को प्रशिक्षण के लिए नहीं भेजा जा पा रहा है तो राज्य सरकार द्वारा किसी दूसरे नाम की सिफारिश किए जाने का भी विकल्प दिया गया है। जाहिर है कि किसी भी स्थिति में भारत सरकार प्रशिक्षण के लिए अधिकारियों की ज्यादा से ज्यादा मौजूदगी को रखना चाहती है। खास बात यह है कि उत्तराखंड शासन को भी भारत सरकार के इस पत्र की पूरी जानकारी दी गई है। साथ ही प्रशिक्षण के लिए अनुमति दिए जाने को लेकर भारत सरकार की मंशा को भी स्पष्ट किया गया है। अधिकारियों के स्किल मैनेजमेंट को और बेहतर करने साथ ही नए आइडियाज को प्रशिक्षण के दौरान अफसरों द्वारा साझा किए जाने का भी प्रयास किया जाता है। लिहाजा ऐसे प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को अहम माना गया है।