विद्युत मंत्रालय से संबंधित संसदीय सलाहकार समिति की बैठक नई दिल्ली में आयोजित हुई। केन्द्रीय विद्युत तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा-एमएनआरई मंत्री आर.के. सिंह ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता की। बैठक में विद्युत एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर भी उपस्थित थे। मीटिंग में विभिन्न राजनीतिक दलों के माननीय सांसदों ने भाग लिया। इस दौरान लोक सभा सांसदों में रामदास चंद्रभानजी तडस और महाबली सिंह, विशेष आमंत्रित सदस्य रवींद्र कुशवाहा तथा राज्य सभा सदस्य डॉ. अमी याज्ञनिक भी उपस्थित थे। बैठक का विषय “जेनको का बकाया तथा डिस्कॉम और राज्यों में आवश्यक वित्तीय अनुशासन” था। मीटिंग में यह जानकारी दी गई कि देश में आर्थिक वृद्धि और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए विद्युत क्षेत्र सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। सरकार द्वारा बीते कुछ वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी बदलाव किया गया है। वर्तमान स्थिति के अनुसार 104 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा सहित 394 गीगावॉट की कुल स्थापित उत्पादन क्षमता भारत में उपलब्ध है और हमारा देश बिजली की कमी से अब विद्युत अधिशेष राष्ट्र के रूप में परिवर्तित हो गया है। 1 लाख गीगावॉट से अधिक की बढ़ी हुई अंतर-क्षेत्रीय हस्तांतरण क्षमता के साथ देश में पर्याप्त पारेषण नेटवर्क बनाया गया है और पूरे देश को एक ही आवृत्ति पर चलने वाले एक एकीकृत ग्रिड में जोड़ दिया गया है। देश ने ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की उपलब्धता में उल्लेखनीय सुधार किया है। इसके साथ ही सभी घरों में बिजली पहुंचाने का 100 प्रतिशत लक्ष्य स्थापित कर गांवों का विद्युतीकरण और सार्वभौमिक विद्युत पहुंच की सफलता हासिल की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता जो 2015 में लगभग 12.5 घंटे थी, वह अब बढ़कर 22.5 घंटे तथा शहरी क्षेत्रों में 23.36 घंटे तक हो गई है। विद्युत क्षेत्र की मूल्य श्रृंखला में बिजली का वितरण सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। इससे नकदी प्राप्त होती है, जो विद्युत उत्पादन और ईंधन आपूर्ति तक संपूर्ण मूल्य श्रृंखला को पोषित करती है। बिजली वितरण क्षेत्र के भीतर किसी भी अक्षमता या वित्तीय प्रबंधन का प्रभाव मूल्य श्रृंखला में सभी अपस्ट्रीम प्लेयर्स पर पड़ता है, जो उनके संचालन तथा वित्तीय व्यवहार्यता पर प्रतिकूल असर डालता है। पिंट के मामलों में से एक जेनको पर डिस्कॉम का बकाया बढ़ रहा है – यह सेंट्रल जनरेटिंग स्टेशनों, आईपीपी और आरई जेनरेटर के लिए 31.01.2022 को 98,722 करोड़ रुपये के खतरनाक स्तर पर है। इसमें यदि जेनको (63,000 करोड़ रुपये) का अन्य बकाया भी शामिल किया जाता है, तो कुल उधार राशि 1.6 लाख करोड़ रुपये होगी। इस संदर्भ में किए जा रहे उपायों तथा कार्रवाइयों का आकलन करना महत्वपूर्ण है।
Deewan Singh
Editor