“शिव तांडव स्तोत्र” भगवान शिव के महत्वपूर्ण भक्तिगीतों में से एक है जिसमें शिव के महात्म्य की महिमा गाई गई है। यह स्तोत्र श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को चाँद्रमा के पुराने मन में समर्पित किया जाता है, जिसके साथ ही भगवान शिव की महानता की महिमा को याद किया जाता है।
![](https://thedailypost24.com/wp-content/uploads/2023/09/desktop-wallpaper-shiva-on-dog-lord-shiva-full-screen-768x1024.jpg)
“शिव तांडव स्तोत्र” का मूल लेखक रावण है, जो एक प्रमुख चरित्र है हिन्दू महाभारत और रामायण में। स्तोत्र में शिव के विभिन्न रूपों की महिमा और उनकी आदि की महत्वपूर्ण बातें हैं।
यह स्तोत्र उत्कृष्ट साहित्यिक और भाग्यशाली भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है। इसके पठन से भक्त अपने जीवन में भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं और उनके अनुसरण में ध्यान और भक्ति में अग्रसर होते हैं।
“शिव तांडव स्तोत्र” की पाठ के माध्यम से, भक्त अपने मानसिक स्थिति को सुधार सकते हैं और भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण को मजबूती से महसूस कर सकते हैं।