नई दिल्ली. दिल्ली के मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई शुरू हुई. मामले में सुनवाई करते हुए देश के मुख्य न्यायधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पहली नजर में हमारा मानना है कि मनोनीत सदस्यों को वोटिंग का अधिकार MCD संविधान में नहीं है. CJI ने MCD की तरफ से पेश ASG संजय जैन से पूछा, क्या मनोनीत वोट कर सकते हैं? MCD के वकील ने कहा कि पहली बैठक में मनोनीत पार्षदों के वोट डालने पर कोई रोक नहीं है. चीफ जस्टिस (CJI) ने कहा कि हम निर्देश देते हैं कि पहली बैठक में मेयर का चुनाव हो. इस चुनाव में मनोनीत सदस्य वोट न दें.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि पहले मेयर पद पर चुनाव हो. उनकी अगुवाई में डिप्टी मेयर का चुनाव हो. MCD की अगली पहली मीटिंग में मेयर पद का चुनाव होगा. इसमे मनोनीत पार्षदों को वोट डालने का अधिकार नहीं होगा. अगली मीटिंग के बारे में नोटिस 24 घण्टे के अंदर जारी करना होगा. उसी मीटिंग में तारीख तय होगी कि कब मेयर, डिप्टी मेयर, स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यो का चुनाव हो. चीफ जस्टिस ने कहा एल्डरमैन वोट नहीं दे सकते और यही लोकतंत्र का मूल सिद्धांत है.
आम आदमी पार्टी की दोनों मांगें स्वीकार, सीएम केजरीवाल ने जताया आभार
आम आदमी पार्टी की नेता डॉ. शैली ओबेरॉय ने मेयर के चुनाव में मनोनीत सदस्यों को मतदान करने की अनुमति देने के एलजी के फैसले को चुनौती दी थी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से जल्द चुनाव कराने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले से आम आदमी पार्टी को राहत मिल गई है. उनकी दोनों प्रमुख मांगें मानी गई हैं. इस प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश जनतंत्र की जीत. सुप्रीम कोर्ट का बहुत बहुत शुक्रिया. ढाई महीने बाद अब दिल्ली को मेयर मिलेगा. ये साबित हो गया कि LG और बीजेपी मिलकर आये दिन दिल्ली में कैसे ग़ैरक़ानूनी और असंवैधानिक आदेश पारित कर रहे हैं.