बढ़ती उम्र के साथ-साथ जिस तरह हमारा शरीर कमजोर होने लगता है उसी तरह हमारा ब्रेन और याददाश्त भी कमजोर होने लगती है. याददाश्त के कमजोर होने से जुड़ी दो बीमारियां हैं अल्जाइमर और डिमेंशिया (dementia and alzheimer). ज्यादातर लोग इन दोनों बीमारियों को एक समझते हैं लेकिन ऐसा नहीं है. ये दोनों बीमारियां एक जैसी तो है पर एक नहीं हैं. दोनों में अंतर है, दोनों के लक्षण भी अलग-अलग हैं. आइए समझते हैं कि अल्जाइमर और डिमेंशिया के बीच में क्या अंतर है.
डिमेंशिया क्या है- What Is Dementia?
डिमेंशिया (Dementia) एक ऐसी बीमारी है, जिसमें वक्त के साथ इंसान की मेमोरी, संचार क्षमता और रोजमर्रा के काम भी प्रभावित होने लगते हैं. जैसे कि मेमोरी लॉस, शब्द चयन करने में दिक्कत, निर्णय लेने में परेशानी और किसी परेशानी का समाधान निकालने की क्षमता में कमी. डिमेंशिया, उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती जाती है. मुख्य रूप से इसका कारण ब्रेन डिजनरेशन (Brain Degeneration) है.
डिमेंशिया के कारण- What Is The Reasons Of Dementia:
- स्ट्रोक
- ब्रेन डैमेज
- विटामिन्स की कमी से
- ट्यूमर
डिमेंशिया के लक्षण- Symptoms Of Dementia:
- नाम और चेहरों को याद करने में मुश्किल आना.
- बार-बार पूछताछ करना, सही निर्णय न ले पाना.
- मल्टीटास्किंग ना कर पाना.
- बातचीत करने में परेशानी.
- योजना बनाने में समस्या, किसी चीज को रख कर भूल जाना.
- हमेशा कंफ्यूज महसूस करना
अल्जाइमर क्या है- What Is Alzheimer?
अल्जाइमर दरअसल, डिमेंशिया का ही एक प्रकार है. अल्जाइमर ब्रेन में होने वाली एक प्रगतिशील बीमारी है, जिसमें धीरे-धीरे मेमोरी जाती है, इसे आप स्लोली प्रोग्रेसिव डिमेंशिया कह सकते हैं. इस दौरान पीड़ित के ब्रेन में प्लाक जमने लगता है. ये ब्रेन के सब्सटांस को डैमेज करते हैं, साथ ही ट्रांसमीटिर्स को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे सेल्स के बीच संबंध खो जाते हैं और वे खत्म होने लगते हैं. इस वजह से याददाश्त कमजोर होने लगती है, रोजाना के कामों को करने में परेशानी आती है.
अल्जाइमर के लक्षण- Symptoms Of Alzheimer:
- हालिया बातचीत या घटनाओं को याद रखने में कठिनाई.
- उदासीनता.
- डिप्रेशन.
- भटकाव महसूस करना.
- उलझन.
- व्यवहार में परिवर्तन.
- बोलने, निगलने या चलने में भी परेशानी.
- चीजों को गलत जगह पर रखना.
- एंग्जाइटी महसूस करना.
अल्जाइमर और डिमेंशिया का इलाज- Treatment Of Alzheimer And Dementia:
लक्षणों को देखने के बाद क्लीनिकल टेस्ट और ब्लड टेस्ट किया जाता है. वही अगर ब्रेन में ट्यूमर होता है तो, इसका इलाज किया जाता है. स्ट्रोक की वजहों को जान कर उसका इलाज किया जाता है. इसके अलावा ब्रेन डैमेज का दवाओं और थेरेपी के जरिए इलाज होता है.
इसके अलावा डॉक्टर्स पार्किंसंस रोग और एलबीडी की वजह से होने वाले डिमेंशिया का इलाज कोलिनेस्टरेज़ इनहिबिटर के साथ करते हैं जिसका उपयोग अक्सर अल्जाइमर के इलाज के लिए भी होता है. वस्कुलर डिमेंशिया के लिए उपचार ब्रेन ब्लड वेसल्स को और नुकसान को रोकने और स्ट्रोक को रोकने पर केंद्रित होता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.