दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को कहा कि छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद का “अंतिम उद्देश्य” दंगों की साजिश के मामले में उनकी जमानत याचिका का विरोध करते हुए भारत सरकार को घुटनों पर लाना और लोकतंत्र की नींव को अस्थिर करना था।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता खालिद और कई अन्य कार्यकर्ताओं पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के कड़े प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है और राष्ट्रीय राजधानी में दंगों के “मास्टरमाइंड” का आरोप लगाया गया है। फरवरी, 2020 में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक घायल हो गए थे।
विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने आगे खालिद के दावों का विरोध किया कि जांच एजेंसी सांप्रदायिक थी और दंगों की साजिश के मामले में आरोप पत्र “कल्पना की उपज” था।