कहते हैं अगर कुछ करने का जज्बा हो तो हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। सच्ची मेहनत और लगन सफलता के मार्ग पर आने वाली हर अड़चन को दूर करते हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया केरल के थ्रिससुर के एडम हैरी ने। एडम हैरी एक ट्रांसजेंडर हैं और देश का पहला ट्रांसजेंडर पायलट बनकर उन्होंने समाज को जो संदेश दिया है वह काबिले तारीफ है। यूं तो भारत मे आज भले ही एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी को कानून मान्यता मिल चुकी है लेकिन समाज आज भी इन्हें दिल से स्वीकार करने में हिचकता है। समाज तो समाज अपनी मां तक किन्नर औलाद से मुँह फेर लेती है। समाज मे उपेक्षित ऐसे बच्चों को अपनी ज़िंदगी की लड़ाई अकेले ही लड़नी पड़ती है। कहते है मां अपने बच्चे को तमाम कमियों के बाद भी प्यार ही करती है सारी दुनिया से अपने बच्चे के लिए लड़ जाती है, लेकिन यही बच्चा अगर किन्नर हो तो माँ बच्चे का मुँह देखना तक पसंद नही करती और बच्चे को खुद से दूर करते हुए उस माँ का कलेजा तक नही कांपताघ् क्या मालूम यही किन्नर बच्चा आगे चलकर देश का नाम ही रौशन कर दे। ऐसा ही हुआ एडम हैरी के साथ!
एडम हैरी के परिजनों को जब पता चला कि उनका बच्चा एक ट्रांसजेंडर है तो उन्होंने एडम को घर से निकाल दिया। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने एडम से सब रिश्ते भी खत्म कर दिए। इस बेदर्द दुनिया मे एडम एकदम अकेले हो गए। उन्होंने अपना संघर्ष जूस की दुकान पर काम करके शुरू किया। उन्होंने बचपन से पायलट बनने का सपना देखा था जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने दिन रात मेहनत की। एडम ने सोशल जस्टिस विभाग से पढ़ाई करने के लिए मदद की गुहार लगाई। यहां उन्हें मदद मिली और उन्होंने एशियन एकेडमी जॉइन कर ली। केरल सरकार को जब एडम के बारे में पता चला तो राज्य सरकार के सामाजिक न्याय विभाग की ओर से एडम को 22.34 लाख रुपए की स्कॉलरशिप दी गयी। इस मदद से एडम के सपनों को उड़ान मिली और वो कमर्शियल पायलट बने।
Deewan Singh
Editor