नई दिल्ली। करीब ढाई महीने से चल रहे हिजाब पर विवाद के मामले में आज कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि स्टूडेंट स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म पहनने से मना नहीं कर सकते और स्कूल या कॉलेज को अपनी यूनिफार्म तय करने का पूरा अधिकार है, इसलिए स्टूडेंट को स्कूल-कॉलेज के नियमों को हर हाल में फॉलो करना पड़ेगा। इस मामले में आज कर्नाटक हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण एस. दीक्षित और जस्टिस खाजी जयबुन्नेसा मोहियुद्दीन की तीन मेंबर वाली बेंच ने कर्नाटक सरकार के 5 फरवरी को दिए गए आदेश को निरस्त करने से इनकार कर दिया, जिसमें स्कूल यूनिफॉर्म को जरूरी बताया गया था। वहीं फैसला सुनाने से पहले चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी ने कहा कि इस मामले में दो सवालों पर गौर करना अहम है। पहला- क्या हिजाब पहनना आर्टिकल 25 के तहत धार्मिक आजादी के अधिकार में आता है। और दूसरा- क्या स्कूल यूनिफॉर्म पहनने को कहना इस आजादी का हनन है। इसके बाद हाईकोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर बैन को सही ठहराया।
गौरतलब है कि कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद 1 जनवरी को शुरू हुआ था। यहां उडुपी में 6 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने के कारण कॉलेज में क्लास रूम में बैठने से रोक दिया गया था। कॉलेज मैनेजमेंट ने नई यूनिफॉर्म पॉलिसी को इसकी वजह बताया था। इसके बाद इन लड़कियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। लड़कियों का तर्क है कि हिजाब पहनने की इजाजत न देना संविधान के आर्टिकल 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकार का हनन है।
Deewan Singh
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